- चंद्रपुर किले में कीलें चूभो रही मनपा : प्लास्टिक विरोधी जागृति के लिए प्लास्टिक का ही बैनर टंगा दिया पुरातन किले पर !

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चंद्रपुर किले में कीलें चूभो रही मनपा : प्लास्टिक विरोधी जागृति के लिए प्लास्टिक का ही बैनर टंगा दिया पुरातन किले पर !

प्राचीन स्मारक अवशेष अधिनियम 1958 के तहत जुर्माना व कारावास की सजा का प्रावधान

मनपा अधिकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज करें पुरातत्व विभाग


हैरिटेज वॉक के इको-प्रो संगठन को लेनी चाहिये गंभीर दखल

@ चंद्रपुर
15 अगस्त 2021 से इको-प्रो नामक संगठन ने बंडू धोत्रे के नेतृत्व में माझी वसुंधरा अभियान के तहत कील मुक्त पेड़ की मुहिम की शुरुआत चंद्रपुर मनपा आयुक्त राजेश मोहिते की उपस्थिति में की। बीते अनेक वर्षों से इको-प्रो चंद्रपुर किले के संरक्षण में काम कर रही है। साथ ही हैरिटेज वॉक जैसी अच्छी मुहिम चलाकर जनता का दिल जीता है। लेकिन इको-प्रो जिस मनपा प्रशासन से हाथ मिलाकर अनेक अभियान चला रही है, वही मनपा वर्तमान में प्लास्टिक विरोधी जागृति के लिये प्लास्टिक बैनर का ही उपयोग कर, उस बैनर को चंद्रपुर के पुरातन किले में मोटे-मोटे कीलें चूभोकर उसे किले पर टांगने का अपराध कर रही है। यह नजरा भीड़-भाड़ वाले जटपुरा गेट परिसर में आम है, इसके बावजूद इको-प्रो संगठन की ओर से मनपा की इस नीति का निषेध नहीं किया गया। पुरातत्व संरक्षण के मामले में इको-प्रो को सम्मान की नजर से देखा जाता है, लेकिन इस संगठन ने मनपा के खिलाफ अब तक कील मुक्त किला का नारा नहीं दिया है, यह हैरत की बात है। इसलिये तत्काल इस गंभीर मामले की दखल लेते हुए मनपा के खिलाफ प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष नियम 1958 के नियम 38 के उपनियम (2) के तहत अपराध दर्ज कराने इको-प्रो संगठन को सामने आना चाहिये।

चंद्रपुर का पुरातन गोंड किला राष्ट्रीय प्राचीन स्मारक

हम चंद्रपुर वासियों के लिये यह गर्व की बात है कि हमारा पुरातन चंद्रपुर गोंड किला यह प्राचीन स्मारक 1958 के 24 वें प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल व अवशेष अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्वपूर्ण स्मारक के तौर पर जाहिर किया गया था।

वाहवाही लूटने किले की दीवारों में मनपा ठोंक रही कीलें

हमें यह खेद से कहना पड़ रहा है कि इस गोंडकालीन चंद्रपुर किला राष्ट्रीय महत्वपूर्ण स्मारक होने के बावजूद चंद्रपुर महानगर पालिका प्रशासन की ओर से लगातार बीते अनेक वर्षों से इसे क्षति पहुंचाने का काम किया जा रहा है। चंद्रपुर मनपा समय-समय पर अपना प्रचार व प्रसार करने के लिये चंद्रपुर के पुरातन किले की दीवार का उपयोग कर रही है। इस दीवार में कीलें ठोंककर अपने प्रशासनीक योजनाओं की वाहवाही वाले बैनर सतत लगाए जा रहे हैं। इसके बावजूद चंद्रपुर में स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, उपमंडल के संरक्षण सहायक कार्यालय के किसी भी अधिकारी की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। साथ ही इको-प्रो नामक संगठन हर रविवार को हैरिटेज वॉक अभियान तो चलाता है लेकिन मनपा के इस अपराध पर खामोश है।

मनपा के निंदनीय हरकतों पर चुप्पी क्यों ?

चंद्रपुर का पुरातन गोंडकालीन किला यह केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में दर्ज है। इस पर मनपा के अधिकारियों की ओर से आये दिन अतिक्रमण कर इसे क्षति पहुंचाने का काम किया जा रहा है। चंद्रपुर के किले की दीवार में खासकर जटपुरा गेट परिसर में मनपा प्रशासन की ओर से मोटे-मोटे कीलें ठोंककर इस दीवार को क्षति पहुंचाई जा रही है। इसे कमजोर करने का काम किया जा रहा है, जो बेहद ही निंदनीय है। साथ ही मनपा के अधिकारियों की ओर से प्रशासन की योजनाएं एवं वाहवाही बटोरने के लिए इस तरह से कुकृत्य किया जाना यह अपराध की श्रेणी में आता है।

न पंचनामा, न FIR और न कोई कार्रवाई !

प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1958 के खंड 10 एवं 19 के तहत प्राचीन चंद्रपुर किले में कीलें चूभोकर उस पर बैनर टंगा देना, यह कानून व नियमों का स्पष्टता से उल्लंघन है। इसलिये मनपा के दोषी अधिकारियों की तत्काल जांच कराने के चंद्रपुर के पुरातन किले को पहुंचाये जा रहे क्षति का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, उपमंडल के संरक्षण सहायक कार्यालय की ओर से तुरंत मुआयना करने, निरीक्षण करने एवं पंचनामा करने की जरूर है। इस अपराध के लिये संबंधितों के खिलाफ FIR दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये। लेकिन संबंधित विभाग और पर्यावरण तथा पुरातत्व के क्षेत्र में काम करने वाले नामचीन संगठन और मशहूर शख्सियतें चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं।

कागजों में न रह जाएं कठोर प्रावधान !

चंद्रपुर मनपा प्रशासन की ओर से चंद्रपुर किले पर लगाए गए प्लास्टिक के बैनर को हटाने के पूर्व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, उपमंडल के संरक्षण सहायक कार्यालय की ओर से जटपुरा गेट परिसर में तय नियमों के अनुसार पंचनामा किया जाना चाहिये। साथ ही पुरातत्व विभाग के स्थानीय कार्यालय की ओर से अपने वरिष्ठों को इसकी सूचना दी जानी चाहिये। प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष नियम 1958 के नियम 38 के उपनियम (2) के तहत केंद्र सरकार अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए चंद्रपुर मनपा के दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह प्रशासन व पुरातत्व संगठन के कार्यों पर सवाल उठाने का मौका देने जैसा माना जाएगा। सारे नियम कागजों पर ही कैद न होने पाएं, इसलिये तत्काल उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।

जुर्माना व कारावास के प्रावधान पर सख्ती से अमल हो

चंद्रपुर का पुरातन किला केंद्रीय संरक्षित स्मारक होने के चलते इससे छेड़छाड़ करना प्रतिबंधित है। ऐसा करने पर दोषियों के खिलाफ जुर्माना व कारावास की सजा का प्रावधान है। तय सभी कठोर नियमों को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, उपमंडल के संरक्षण सहायक कार्यालय की ओर से तत्काल इसकी गंभीरता से दखल ली जानी चाहिये। और मनपा प्रशासन के जिन अधिकारियों के आदेश पर चंद्रपुर के पुरातन किले को क्षति पहुंचाने का काम चल रहा है, उनकी जांच कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये। 

‘रिलेशन मेंटन’ करने के चक्कर में न पड़े इको-प्रो

बीते अनेक वर्षों से इको-प्रो नामक संगठन चंद्रपुर के पर्यावरण संरक्षण एवं पुरातत्व धरोहरों के संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण व बेहद सराहनीय काम कर रही है। उनके हैरिटेज वॉक, कील मुक्त पेड़ अभियान, रेन वॉटर हॉरवेस्टिंग, रामाला तालाब विकास आदि सैंकड़ों मुहिमों पर जनता ने दिल खोलकर तारीफ की और साथ भी दिया। इको-प्रो के अनेक मुहिमों में प्रशासन के अधिकारी भी साथ आये। लेकिन अब कील मुक्त चंद्रपुर किला बनाने के लिये इको-प्रो को सीधे प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ मुहिम छेड़ना होगा। रिलेशन मेंटन करने की मंशा पुरातत्व किले को चोंट पहुंचाती रहेगी। क्योंकि मनपा प्रशासन ही यदि किले को क्षति पहुंचायेगी तो अन्य आम लोगों से नियमों का पालन करने की अपील बेमानी साबित होगा।

अपने गौरवशाली कार्य की परंपरा को बरकरार रखें इको-प्रो

चंद्रपुर के हैरिटेज पेड़ों को संरक्षित वृक्ष का बोर्ड लगाने व कील मुक्त पेड अभियान चलाने की मांग इको-प्रो ने बीते वर्ष की थी। इको-प्रो के पर्यावरण विभाग प्रमुख नितीन रामटेके ने चंद्रपुर मनपा आयुक्त राजेश मोहिते को ज्ञापन सौंपा था। इस समय इको-प्रो के अब्दुल जावेद, अमोल उत्तलवार आदि उपस्थित थे। 15 अगस्त 2021 से इको-प्रो ने ‘माझी वसंुधरा अभियान’ के तहत इसकी शुरुआत आयुक्त राजेश मोहिते की उपस्थिति में की थी। कील मुक्त पेड़ अभियान की तरह ही अब कील मुक्त चंद्रपुर किला अभियान चलाना समय की जरूरत है। अपने गौरवशाली कार्य की परंपरा को बरकरार रखने के लिये इको-प्रो की ओर से इस गंभीर मसले की दखल ली जानी चाहिये।

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