■ चिमूर-भिसी मशहूर ग्रामीण पत्रकार ने पुरस्कार स्पर्धा पर उठाएं अनेक सवाल
■ संघ से जुड़े अपने ही हितैषियों को खैरात की तरह पुरस्कार बांटने की हो रही चर्चा
■ इमारत संचालित करने मनपा से मिले 2 करोड़ वाले “माहिती व सुविधा केंद्र” का नाम ही निमंत्रण पत्रिका से गायब
@ चंद्रपुर
बीते दिनों चंद्रपुर श्रमिक पत्रकार
संघ ने विविध विषयों व क्षेत्र की उत्तम खबरों पर पत्रकारों को सम्मानित करने के
लिये प्रवेशिकाएं मंगवाई थी। लेकिन इसके रिजल्ट में समूचे चंद्रपुर जिले में से
किसी भी हिंदी भाषी अखबार, टीवी, डिजिटल मीडिया आदि के किसी पत्रकार का चयन नहीं
किया गया है। गत 28 जुलाई 2022 को घोषित किये गये कुल 14 पुरस्कारों में हिंदी
मीडिया से संबंधित किसी रिपोर्टर का चयन नहीं किया जाना, अब नये विवाद को जन्म दे
रहा है। यहां तक कि 3 परीक्षकों के पैनल में भी किसी हिंदी भाषी परीक्षक को स्थान
नहीं दिया गया। ऐसे में इन स्पर्धा पुरस्कारों के लिये आवेदन करने वाले चिमूर
तहसील के भिसी निवासी एक जाने-माने वरिष्ठ हिंदी भाषी पत्रकार ने श्रमिक पत्रकार
संघ की नीतियों को लेकर अनेक सवाल उठाएं हैं। उनकी पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल
होते ही समाज में चंद्रपुर श्रमिक पत्रकार संघ की आलोचना होने लगी है। चर्चा है कि
पत्रकार संघ के करीबी समझे जाने वाले एवं जिन पत्रकारों का संघ के कार्यालय में
उठना-बैठना हैं, उन्हीं मराठी भाषी पत्रकारों को ही आपस में खैरात की तरह पुरस्कार
बांटने की घोषणा की गई है।
लोग अभी भूले नहीं, बेसहारा गरीब से 34 रुपये प्रति नग वाली चाय की चुस्कियां !
मशहूर पत्रकार व आवेदनकर्ता पंकज मिश्रा ने उठाएं अनेक सवाल
बरसों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रहे एवं मशहूर पत्रकार व जाने-माने प्रमुख हिंदी अखबार में निरंतर अपनी लेखनी से लोहा मनवाने वाले चिमूर के रिपोर्टर पंकज मिश्रा ने 2 भिन्न विषयों के लिये अपने 2 आवेदन एवं अखबार की ओरिजनल 6 भिन्न खबरें चंद्रपुर श्रमिक पत्रकार संघ के चंद्रपुर कार्यालय में जमा कराई थी। जब 14 पुरस्कार घोषित किये गये तो उनमें से कोई एक पुरस्कार भी जिले के किसी हिंदी भाषी रिपोर्टर को नहीं दिया गया। ऐसे में पंकज मिश्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर संघ से अनेक सवाल पूछे।
श्रमिक पत्रकार संघ के स्पर्धा की नीति पर जताया संदेह
प्रसिद्ध पत्रकार पंकज मिश्रा ने पूछा कि चंद्रपुर श्रमिक पत्रकार संघ की पुरस्कार स्पर्धा क्या केवल मराठी अखबारों, मराठी टीवी चैनलों व मराठी डिजीटल मीडिया के लिये ही थी ? हिंदी मीडिया को कोई एक पुरस्कार नहीं दिया जा सका। क्या वाकई में हिंदी मीडिया के किसी रिपोर्टर ने कोई प्रवेशिका जमा नहीं करवाई ? या हिंदी अखबारों के रिपोर्टरों को खबरें ही लिखना नहीं आता ? हिंदी मीडिया जगत में एक भी पुरस्कार नहीं मिलना अथवा नहीं दिया जाना, समझ से परे है। वे खुद हिंदी के नामी अखबार से जुड़े हैं, इसलिये इस पुरस्कार स्पर्धा की नीति पर उन्हें संदेह नजर आने लगा है।
संघ ने किस-किसके नाम घोषित किये पुरस्कार ?
गौरव सिर्फ अंग्रेजी और मराठी पत्रकारों का
परीक्षकों में भी हिंदी भाषी को नहीं मिला मौका
संघ के करीबी राजेश वारलू बेले पर हुए हमले का नहीं किया निषेध
चंद्रपुर श्रमिक पत्रकार संघ के बेहद करीबी माने जाने वाले एवं अक्सर उनके कार्यालय में पत्रकारों के साथ नजर आने वाले चंद्रपुर MIDC के उद्योगपति राजेश वारलू बेले पर गत 21 जुलाई 2022 की सुबह 3 आरोपियों ने हमला किया था। जटपुरा गेट परिसर के बाल गणेश मंडल के समक्ष एवं नगिनाबाग के सवारी बंगले के सामने गत 5 वर्ष पूर्व तक टेलरिंग का काम करने वाले राजेश वारलू बेले ने अपनी एक विशेष काबिलीयत के बल पर एक सफल उद्योगपति बने। इगल कंपनी के STP प्लांट के खिलाफ वे संघर्ष कर रहे हैं। वहां के प्रोजेक्ट मैनेजर, सुपरवाइजर व कामगार ने उन्हें अश्लील गालियां दी और उनके गाल पर जोरदार थपड़ जड़ दिया। राजेश वारलू बेले घबरा गये और घटना स्थल से निकल गये। इसके बाद राजेश ने रामनगर पुलिस थाने पहुंचकर हमलावर 3 आरोपियों के खिलाफ विविध धाराओं के तहत अपराध दर्ज कराया। लेकिन उद्योगों के घोटाले एवं गड़बड़ियों की जानकारियां RTI के माध्यम से जुटाकर अनेक पत्रकारों तक पहुंचाने वाले बेले के समर्थन में अब तक श्रमिक पत्रकार संघ ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पत्रकार संघ की ओर से इस अनुचित वारदात का निषेध तक घोषित नहीं किया गया।
मनपा की “यह” इमारत ही विवादास्पद
चंद्रपुर महानगर पालिका के एक पत्र में वरोरा-नाका के माहिती व सुविधा केंद्र की इमारत के निर्माण को लेकर 6 अहम मुद्दों पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के उपविभागीय अभियंता से सवाल पूछते हुए लिखित जवाब मांगा गया था। परंतु इस मुद्दों के जवाब में खानापूर्ति नजर आती है। क्योंकि 2 करोड़ की इस इमारत के प्रथम मंजिल के निर्माण के नक्शे की सक्षम प्राधिकरण की ओर से अब तक मंजूरी नहीं ली गई है। केवल जिलाधिकारी, मनपा आयुक्त, निर्माण विभाग के अधीक्षक अभियंता के मौखिक सिफारिश पर इस प्रथम मंजिल का निर्माण कराया गया है। यदि यह मामला कोर्ट में जाता है तो अनेक अफसर इसके अनुचित प्रक्रिया व निर्माण की नीति को लेकर फंस सकते हैं।
(फिलहाल चंद्रपुर एक्सपोजर की रिसर्च टीम इसके सैंकड़ों दस्तावेजों को खंगालने एवं अध्ययन करने का काम कर रही है।)
पत्रकार संघ के निमंत्रण पत्रिका से मनपा के माहिती व सुविधा केंद्र का नाम गायब !
गत 30 सितंबर 2021 को मनपा की आमसभा में वरोरा-नाका परिसर में निर्मित मनपा के माहिती व सुविधा केंद्र की इमारत को चंद्रपुर श्रमिक पत्रकार संघ को 10 वर्ष तक के लिए संचालित एवं देखरेख करने के लिये हस्तांतरित करने का फैसला लिया गया। हालांकि इस हस्तांतरण के लिये मनपा ने बैरिस्टर राजाभाऊ खोबरागडे इमारत के हस्तांतरण की तरह की नीति यहां नहीं अपनायी। और तो और संस्थाओं को आमंत्रित करने व स्पर्धा निर्माण करने के लिये कोई विज्ञापन तक जारी नहीं किया। तत्कालीन महापौर राखी संजय कंचर्लावार, उपमहापौर राहुल पावडे, स्थायी समिति सभापति रवि आसवानी, आयुक्त राजेश मोहिते की उपस्थिति में सारे नियम ताक पर रखकर यह फैसला लिया गया।
वरोरा-नाका पुल से 4 ऊंगलियों की दूरी पर इमारत का निर्माण
समूचे महाराष्ट्र में अजूबा के तौर पर वरोरा-नाका पुल से सटी मनपा की माहिती व सुविधा केंद्र की इमारत को देखा जा सकता है। क्योंकि यह एकमात्र ऐसी इमारत है, जिसकी दूरी और पुल की दूरी में महज 4 ऊंगलियों का फासला है। जबकि इसी पुल के निर्माण के पूर्व आंबेडकर कॉलेज के समक्ष मौजूद झोपड़पट्टी की अनेक झोपड़ियों को अतिक्रमण कहकर ध्वस्त किया जा चुका है। लेकिन राजनेता और पत्रकारों की बेमिसाल गठजोड़ के चलते पुल और इस इमारत के बीच की दूरी सदा-सर्वदा ही इस गहरे नाते को दर्शाती रहेगी। भले ही जनता के अतिक्रमण हटाने(फिलहाल इरई नदी परिसर का अतिक्रमण उठाने का प्रश्न) के सवालों पर पत्रकार तैश में आकर खबर लिखने और सवाल पूछने का आनंद उठाते रहें। पत्रकार अपने संघ व मनपा के इस इमारत के अतिक्रमण पर कोई सवाल बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।
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