■ भाजपा के पर्चे के खिलाफ शेरकी व गुरुनुले ने दी शिकायत
■ पुरस्कार के नाम पर वोटरों को लालच
■■ (विश्लेषण) ■■
✍🏻 लिमेशकुमार जंगम
🔥 मूल में आचारसंहिता उल्लंघन का पहला मामला सामने आया।
भाजपा के ‘वचन देतो’ पर्चे से मचा
हड़कंप
➤ जैसे ही राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर
परिषद और नगर पंचायत चुनावों की घोषणा की, मूल शहर में आचारसंहिता लागू हो गई। लेकिन पहले ही दिन सत्ता पक्ष ने मानो
नियमों की धज्जियाँ उड़ाने की ठान ली।
🔥 ‘वचन देतो - पूर्ण करणार’ से बढ़ा विवाद
➤ भारतीय जनता
पार्टी की ओर से “वचन देतो – पूर्ण करणार” शीर्षक वाले पर्चे शहर में खुलेआम बांटे गए।
➤ पर्चों में न तो
मुद्रक का नाम था, न छपाई क्रमांक - सिर्फ प्रकाशक का नाम लिखा था, जो सीधे-सीधे आचारसंहिता का उल्लंघन है।
➤ कांग्रेस नेताओं
सुनील शेरकी और गुरु गुरनुले ने इसे लेकर चुनाव निर्णय अधिकारी के पास औपचारिक
शिकायत दर्ज कराई है।
💰 “पुरस्कार” के नाम पर वोटरों
को लालच ?
➤ पर्चे में “उत्कृष्ट सुझाव देने वालों को नकद पुरस्कार” देने का वादा किया गया।
➤ कांग्रेस ने इसे आर्थिक प्रलोभन और मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास बताया।
➤ कांग्रेस ने संबंधित
भाजपा नेताओं पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है।
> “अखबार में प्रलोभन वाले पर्चे डालने की शिकायत मिली है। इसकी जांच की जाएगी।”
- संदीप दोडे, मुख्याधिकारी, नगर परिषद मूल
🗳️ मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी - कांग्रेस की चेतावणी
⚠️ “लोकतंत्र के
नाम पर खिलवाड़ नहीं चलेगा”
🔍 दो-दो, तीन-तीन बार दर्ज
नाम!
➤ बल्लारपुर
विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में 1600 मतदाताओं के नाम दो बार, और कुछ के तीन बार दर्ज हैं।
➤ इन मतदाताओं के EPIC नंबर तक अलग-अलग हैं।
➤ इनमें से 122 नाम मूल शहर की मतदाता सूची में भी मौजूद हैं।
⚰️ मृतकों के
नाम अब भी सक्रिय मतदाता!
➤ 1 जुलाई 2025 की अद्यतन सूची में कई मृत व्यक्तियों के नाम अब भी
मौजूद हैं।
➤ सुनील शेरकी ने इस
पर हैरानी जताते हुए कहा कि “यह तकनीकी युग में चुनाव आयोग की आंख पर पट्टी बंधने जैसा है।”
🧭 प्रभाग सीमांकन पर भी सवाल
➤ नतीजा : कई वार्डों
में मतदाता संख्या में सैकड़ों का फर्क पाया गया।
⚙️ “स्वायत्त
संस्थाएँ भी दबाव में ?”
➤ कांग्रेस तहसील अध्यक्ष गुरूदास गुरनुले ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न उठाए -
➤ उन्होंने कहा कि 2024 के विधानसभा चुनावों में दूसरे क्षेत्रों में मतदान कर
चुकी कई विवाहित महिलाओं के नाम आज भी मूल शहर की सूची में मौजूद हैं।
🚨 कांग्रेस का अंतिम अल्टीमेटम
🧩 “लोकतंत्र
की जड़ें खोखली कर रही है सत्ता की ढिठाई”
➤ आचारसंहिता लागू
होते ही नियमों को तोड़ने की जल्दबाज़ी बताती है कि सत्ता पक्ष को नैतिकता से
अधिक प्रचार की चिंता है।
➤ मतदाता सूची की
गड़बड़ियाँ, मृतकों के नाम, और सीमांकन की अनियमितता - ये सब मिलकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगा
रहे हैं।
➤ अगर चुनाव आयोग और
प्रशासन ने अब भी आंख मूंदे रखीं, तो “विश्वास पर टिकी व्यवस्था का
जनाधार हिलना तय है।”
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