■ अधिकांश मीडिया ने चाकू हमले के कारणों को छिपाने का किया पाप
■ नेताओं व मीडिया की
नीति, ये रिश्ता क्या कहलाता है ?
■ एकमात्र आम आदमी पार्टी
ने ही प्रकरण को किया बेनकाब
@ चंद्रपुर
चंद्रपुर मनपा आयुक्त राजेश मोहिते के कक्ष में लातूर जिले के टाकली
गांव निवासी एवं डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर शिक्षण प्रसारक मंडल के आश्रमशाला के
संचालक 38 वर्षीय लक्ष्मण राजेंद्र पवार ने 19 अगस्त 2022 को दोपहर के दौरान खुद पर चाकू से 3 वार कर आत्महत्या
करने का प्रयास किया। उन्हें तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। परंतु कुछ
मीडिया रिपोर्ट में पीड़ित लक्ष्मण को ही सिरफिरा करार दिया गया। कुछ मीडिया
कर्मियों ने इस न्यूज को ही दबा दी। जिस मीडिया कर्मियों ने इस वारदात की रिपोर्टिंग
की, उनकी खबरों में इस वारदात के पीछे के असली कारणों को बेहद ही शातिराना ढंग से
छिपाया गया है। या यूं कहे कि सत्य व राज सामने नहीं आने पाएं, इसके लिए अधूरी
न्यूज जनता के समक्ष परोस दी गई। पीड़ित लक्ष्मण के दावे के अनुसार आयुक्त राजेश
मोहिते ने उनसे 15 लाख की रिश्वत अनुदान दिलाने के नाम पर ली थी। वे नहीं लौटा रहे
थे, इसलिये आत्महत्या का प्रयास किया गया। परंतु उल्लेखनीय है कि इस कथित रिश्वत
कांड और आत्महत्या के प्रयास कांड पर स्थानीय आम आदमी पार्टी के अलावा अन्य किसी
भी दल की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया अथवा निषेध नहीं जताया गया है।
आयुक्त के कैबिन तक कैसे पहुंचा चाकू लिए पीड़ित ?
न्यूज़ 34 डिजिटल मीडिया के संचालक प्रकाश हांडे की 19 अगस्त 2022 की पहली खबर के अनुसार – चंद्रपुर मनपा आयुक्त के समक्ष युवक ने खुद पर किया चाकू से हमला नामक शिर्षक वाली खबर में बताया गया है कि चंद्रपुर मनपा आयुक्त राजेश मोहिते के कैबिन में 19 अगस्त की दोपहर 2 बजे के दौरान एक युवक ने खुद पर ही चाकू से हमला कर आत्महत्या करने की कोशिश की। इसके चलते मनपा के गलियारों में हड़कंप मच गया। न्यूज में दावा किया गया है कि यह युवक आयुक्त मोहिते के कैबिन में उनसे ऊंची आवाज में विवाद करने लगा। इस बीच उसने अपनी जेब में से चाकू निकाल लिया और खुद के पेट में ही 3 वार किये। इन तथ्यों पर अब सवाल यह उठता है कि सुरक्षा रक्षकों के मौजूद होने के बावजूद किसी व्यक्ति चाकू जेब में छिपाकर आयुक्त के कक्ष तक कैसे पहुंचने दिया गया ? इस वारदात के बाद क्या किसी सुरक्षा रक्षक को मनपा प्रशासन की ओर से निलंबित किया गया है ?
न्यूज़ 34 का दावा – अधिकारियों ने साध ली चुप्पी
चाकू से खुद पर हमला करने के वारदात के बाद मनपा आयुक्त के कैबिन से आ रही आवाजों को सुनकर सुरक्षा रक्षक दौड़कर पहुंचे तो खून से लथपथ युवक को देखा और तत्काल उसे जिला सामान्य अस्पताल में भर्ती कराया गया। घायल युवक का नाम लक्ष्मण राजेंद्र पवार था। 38 वर्षीय यह युवक लातूर जिले के टाकली का निवासी है। इस वारदात के बाद मनपा के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। मनपा आयुक्त राजेश मोहिते ने अपना मोबाइल स्वीच ऑफ कर लिया। शहर पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लक्ष्मण पवार ने आत्महत्या का प्रयास क्यों किया, इसकी जांच पुलिस करने लगी। अब यहां सवाल यह उठता है कि यदि इस पूरे मामले में अफसर दोषी नहीं है तो उन्होंने अपना मोबाइल अचानक से बंद क्यों कर लिया ?
आयुक्त का पीड़ित से संबंध नहीं तो प्रतीज्ञा पत्र क्यों लिखवा लिया ?
पत्रकार प्रकाश हांडे ने ऑडियो क्लीप से किया बेनकाब !
न्यूज़ 34 डिजिटल मीडिया के अनुसार वर्ष 2016-2017 के दौरान उनके पिता राजेंद्र पवार ने मोहिते को एक बड़ी राशि देने का सनसनीखेज दावा किया गया है। उन दिनों राजेश मोहिते तत्कालीन सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले के निजी सहायक के तौर पर काम कर रहे थे। पवार का काम नहीं हो सका तो मोहिते ने राशि नहीं लौटाई, यह दावा एक ऑडिया क्लीप में किया गया है। यह क्लीप 19 अप्रैल 2022 की बताई जाती है। यह उस समय रेकॉर्ड की गई जब लक्ष्मण पवार स्थानीय आम आदमी पार्टी के शहर सचिव राजू कुडे के संपर्क में थे। कहा जाता है कि लक्ष्मण पवार ने अप्रैल माह में जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष बेमियादी अनशन आंदोलन करने की अनुमति प्रशासन से मांगी थी, लेकिन उन्हें अनुमति प्रशासन ने नहीं दी। पवार की राशि आयुक्त मोहिते द्वारा नहीं लौटाई गई तो वे आत्मदहन करेंगे, यह चेतावनी दी गई थी।
पीड़ित ब्लैकमेल कर रहा था तो आयुक्त ने क्यों नहीं की शिकायत ?
पत्रकार दिनेश एकवनकर की न्यूज में पीड़ित बना सिरफिरा !
दिनचर्या डिजिटल मीडिया के संपादक-संचालक दिनेश एकवनकर ने अपनी खबर के शिर्षक में लिखा है कि मनपा आयुक्त के कक्ष में एक सिरफिरे का खुद पर चाकू से हमला। इस खबर में एकवनकर दावा करते हैं कि चंद्रपुर मनपा आयुक्त कार्यालय में एक सिरफिरे ने खुद पर चाकू से हमला कर घायल हो गया। संपादक दिनेश एकवनकर ने यह भी दावा किया है कि जिला सामान्य अस्पताल में उपचार ले रहे लक्ष्मण पवार वहां के वैद्यकीय अधिकारियों के अनुसार मानसिक रोगी है। अब इस पूरे मामले में मुद्दा यह है कि दिनेश एकवनकर ने पीड़ित को सिरफिरा बताने वाले वैद्यकीय अधिकारियों का नाम उजागर नहीं किया। साथ ही उन्होंने पीड़ित का इलाज करने वाले डॉक्टरों से बातचीत कर उसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधित दवाएं दी जा रही है या नहीं, इसकी पड़ताल भी नहीं है। ऐसे में पीड़ित को सिरफिरा करार देना, यह उसके अस्मिता व इज्जत पर मीडिया का हमला माना जाएगा। वहीं इस षड़यंत्र को बेनकाब करने के लिए स्थानीय आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में भेंट देकर पीड़ित मानसिक रोगी नहीं होने और मनपा आयुक्त राजेश मोहिते से आर्थिक लेन-देने होने की बात को मरीज से कबूल करवा लिया।
ETV भारत की रिपोर्ट चौंकाने वाली
पीड़ित का कॉल उठाना बंद किया था आयुक्त ने
ETV भारत की खबर के अनुसार अब जब उन्होंने मनपा आयुक्त मोहिते के चेंबर में आत्महत्या का प्रयास किया तो लक्ष्मण पवार के खिलाफ भादंवि की धारा 309 के तहत अपराध दर्ज किया गया। अस्पताल में उनके पास 2 पुलिस कर्मचारी तैनात किये गये हैं। मीडिया व अन्य किसी भी व्यक्ति को पवार से मिलने व बात करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। अस्पताल से उनकी छुट्टी होते ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
बेमियादी अनशन की क्यों नहीं दी प्रशासन ने अनुमति ?
पीड़ित के अकाउंट में किसने जमा कराएं 3 लाख रुपये ?
अपनी रिपोर्ट में अमित वेल्हेकर लिखते हैं कि लक्ष्मण पवार ने लातूर के पुलिस थाने में शिकायत दी, किंतु उन पर दबाव डालकर शिकायत वापिस लेने के लिये बाध्य किया गया। जब एक करारनामा के तहत समझौता हुआ तो मोहिते ने 3 लाख रुपये नागपुर से एक बैंक द्वारा उनके खाते में जमा कराएं। लक्ष्मण का कहना है कि उन्हें नौकरी एवं दिव्यांग 12 वर्षीय बेटे का उपचार कराने का आश्वासन आयुक्त राजेश मोहिते ने दिये, इसलिये उन्होंने प्रतीज्ञा पत्र लिखकर दिया। परंतु बाद में मोहिते अपने वादे से पलट गये। प्रतीक्षा पत्र पर गवाह के तौर पर शिवशंकर विश्वनाथ पाटील व अजयसिंह हरिसिंह राठोड के हस्ताक्षर दर्ज हैं। इस बीच मोहिते ने कॉल रिसिव करना बंद कर दिया। 2020 के दौरान लक्ष्मण पवार के पिता का भी देहांत हो गया। अब जब आत्महत्या का प्रयास करने की घटना के बाद उनके गवाहों पर दबाव डाला जा रहा है। साथ ही पुलिस और अन्य लोग कॉल कर दबाव लाने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रतीज्ञा पत्र क्यों लिखवाया आयुक्त राजेश मोहिते ने ?
लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्हें समझौते और प्रतीज्ञा पत्र लिखवा लेने की जरूरत क्यों आन पड़ी ? इसी एक सवाल में इस पूरे प्रकरण का राज छिपा है। और पुलिस राज को उजागर करने की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पायी है। यह बेहद चिंता की बात है।
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