- झूठ ! झूठ !! झूठ !!! हमारे प्रिय कलेक्टर अजय गुल्हाने झूठ बोलने लगे है ! क्यों व कैसे ?

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झूठ ! झूठ !! झूठ !!! हमारे प्रिय कलेक्टर अजय गुल्हाने झूठ बोलने लगे है ! क्यों व कैसे ?

क्या वाकई में बाढ़ 17 जुलाई के बाद ही आयी ?

तो फिर 14 जुलाई को रहमत नगर में बोट चलने का वीडियो फर्जी था क्या ?

सार्वजनिक सोशल मंच FB पर अपलोड हुआ कलेक्टर का फोटो पर्सनल कैसे बन गया ?

@ चंद्रपुर
गत 14 जुलाई को खुद जिलाधिकारी अजय गुल्हाने ने चंद्रपुर शहर के सिस्टर कॉलोनी-उमाटे ले-आउट आदि बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और जिला प्रशासन ने –“पूर परिस्थितीची पाहणी करण्याकरीता जिल्हाधिकारी ऑनफील्ड” इस शिर्षक तले एक न्यूज जाहिर कर दी। लेकिन लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को कलेक्टर ने धमकीनुमा सरकारी पत्र अपने ओहदे का (दुरु)उपयोग करते हुए दिनांक 27 जुलाई 2022 को जारी किया। इसमें स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि – “दिनांक 16 व 17 जुलाई 2022 को अपने जिले में बाढ़ के हालात निर्माण नहीं हुए थे।” जबकि जिला प्रशासन द्वारा 16 जुलाई को जारी की गई सरकारी रिपोर्ट में बाढ़ के चलते राजुरा में 16 बकरियों के बह जाने से उनकी मौत होने की जानकारी दी थी। उल्लेखनीय है कि 13 जुलाई की रात से चंद्रपुर के रहमत नगर में आई बाढ़ के चलते करीब 1000 लोगों को 14 जुलाई तक रेस्क्यू करना पड़ा था। राहत व बचाव दल को बोट के सहारे नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा था। यह हालात कमोबेश जिले के अनेक गांवों में अगले एक सप्ताह तक देखे गये। बावजूद कलेक्टर अजय गुल्हाने को झूठी जानकारी के आधार पर एक पत्र क्यों लिखना पड़ा, यह बेहद गंभीर और चिंता का विषय है।

आइये जानते है कलेक्टर के दावे का सच, कब-कब, क्या-क्या हुआ ?

सम्माननीय जिलाधिकारी अजय गुल्हाने कहते हैं कि - “दिनांक 16 व 17 जुलाई 2022 को अपने जिले में बाढ़ के हालात निर्माण नहीं हुए थे।” लेकिन जिला प्रशासन के नजरिये से हमें इतिहास को परखना होगा। गत 7 जुलाई 2022 को चंद्रपुर जिले के पालक सचिव अनुप कुमार ने चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी अजय गुल्हाने की मौजूदगी में संभावित बाढ़ नियंत्रण जायजा बैठक लेते हुए 24 घंटे दक्ष रहने के निर्देश दिये। जिले में 8 जुलाई से जोरदार बारिश शुरू हुई। 10 जुलाई को जिला प्रशासन ने मौसम विभाग के हवाले से 10, 11 व 12 जुलाई को अतिवृष्टि होने की चेतावनी जारी की। वहीं 12 जुलाई को जिला प्रशासन ने CSTPS के इरई बांध के 3 दरवाजे खोलने की चेतावनी जारी की। साथ ही चिंचोली, खांबाला, शिंधी, आसाला, धानोरा-वर्धा पुल आदि के ओवरफ्लो होने की सूचना दी। 13 जुलाई को वर्धा नदी में बाढ़ से जिले के अनेक रास्ते बंद होने की जानकारी दी। इसी दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चंद्रपुर समेत राज्य के सभी जिलाधिकारियों को बाढ़ के आपातकालीन हालातों पर ध्यान देने की हिदायद दी थी। 13 जुलाई की ही शाम साढ़े 7 बजे जिला प्रशासन ने गोसेखुर्द का पानी वर्धा नदी में छोड़ने से बाढ़ की चेतावनी जाहिर की थी। 14 जुलाई को सरकारी बचाव दल ने बल्लारपुर तहसील के विसापुर कोलगांव पुल का निर्माण कर रहे व बाढ़ में फंसे 6 मजदूरों को बोट के माध्यम से सुरक्षित जगह पहुंचाया। 14 जुलाई को खुद जिलाधिकारी ने चंद्रपुर शहर के सिस्टर कॉलोनी-उमाटे ले-आउट आदि बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और जिला प्रशासन ने –“पूर परिस्थितीची पाहणी करण्याकरीता जिल्हाधिकारी ऑनफील्ड” इस शिर्षक तले एक न्यूज जाहिर कर दी।

बाढ़ थी नहीं तो बकरियां बहकर मरी कैसे ?

जिलाधिकारी अजय गुल्हाने के अनुसार यदि 16 व 17 जुलाई 2022 को जिले में बाढ़ नहीं थी तो वह 16 बकरियां मरी कैसे, इसका जवाब अब जनता को देना चाहिये। जबकि जिला प्रशासन के सूचना व जनसंपर्क विभगा के द्वारा 16 जुलाई को जारी की गई सरकारी रिपोर्ट में बाढ़ के चलते राजुरा में 16 बकरियों के बह जाने से उनकी मौत होने की जानकारी दी गई थी।

कलेक्टर को झूठी जानकारी देने की नौबत क्यों आयी ?

जिले में बाढ़ के हालातों के बीच अर्थात 17 जुलाई 2022 को जिलाधिकारी अजय गुल्हाने, अपने मित्र अफसर मनपा आयुक्त राजेश मोहिते, पूर्व विधायक जैनूद्दीन जव्हेरी के पुत्र एड. इब्राहिम जव्हेरी, कोरोना काल में सीटी स्कैन के 8,000 रुपये मरीजों से लूटने के मामले में विवादों से घिरे रहे डॉ. रवि अल्लूरवार(इन्हें पुरातत्व अवशेष के नियमों को ताक पर रखते हुए मनपा की ओर से जटपुरा किला परिसर में विद्युत डीपी लगाने की अनुमति प्रदान की गई), डॉ. योगेश सालफड़े आदि अपने मित्रों के साथ चिमूर तहसील के पेरजागढ़ सातबहिणी पहाड़ियों में बारिश और ट्रैकिंग का लुत्फ उठा रहे थे। इन तस्वीरों को एड. इब्राहिम जव्हेरी ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया। इस पर आलोचना होते ही उन्होंने यह तस्वीरें हटा ली।

क्यों हुई थी कलेक्टर गुल्हाने की बदनामी ?

13 जुलाई 2022 की रात से ही जिले में बाढ़ हालातों के बीच जिलाधिकारी अजय गुल्हाने एवं मनपा आयुक्त राजेश मोहिते अपने वकील, डॉक्टर व अन्य मित्रों के साथ 17 जुलाई को चिमूर की पहाड़ियों व पर्यटन का आनंद उठाने वाली तस्वीर के साथ जिले के बाढ़ के गंभीर हालातों पर सकाळ नामक सुविख्यात अखबार ने इस मामले का पर्दाफाश किया। “काय झाड.काय डोंगार..सारं ओके मंधी आहे.” नामक शिर्षक तले सकाळ ने खबर प्रकाशित की। इससे प्रशासन व राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। सर्वत्र जिलाधिकारी व मनपा आयुक्त के इस कृत्य व असंवेदनशीलता की आलोचना होने लगी।

बदनामी होते ही कलेक्टर गुल्हाने ने धमकीनुमा पत्र पत्रकार को भेजा

सकाळ में कलेक्टर अजय गुल्हाने व मनपा आयुक्त राजेश मोहिते के पर्यटन दौरे व बाढ़ हालातों की तुलना वाली खबर प्रकाशित होने के बाद इन अफसरों की काफी बदनामी हुई। अब जिलाधिकारी ने लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया का मुंह बंद करने की ठान ली। उन्होंने दिनांक 27 जुलाई 2022 को सकाळ अखबार के जिला प्रतिनिधि प्रमोद काकडे को एक धमकीनुमा पत्र भेजा। ताकि दोबारा उनके खिलाफ मीडिया का कोई भी रिपोर्टर लिखने की हिम्मत न कर सकें।

कलेक्टर के चेतावनी भरे पत्र में क्या-क्या लिखा है ?

जिलाधिकारी अजय गुल्हाने की ओर से सकाळ के जिला प्रतिनिधि प्रमोद काकडे को भेजे गये चेतावनीनुमा पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि 27 जुलाई को प्रकाशित की गई न्यूज में उनका व्यक्तिगत फोटो प्रकाशित किया गया है। सकाळ को सूचित किया गया है कि 16 व 17 जुलाई 2022 को जिले में बाढ़ के हालात निर्माण नहीं हुए थे। बाढ़ के हालात 18 जुलाई 2022 से शुरू हुए है। सकाळ में प्रकाशित फोटो को वे व्यक्तिगत फोटो बता रहे हैं। (लेकिन सार्वजनिक मंच अर्थात सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई यही फोटो व्यक्तिगत कैसे ? और आलोचना के बाद यह पोस्ट डिलीट क्यों की गई ? इसका जवाब नहीं दिया गया है।) इस फोटो को प्रकाशित करने के पूर्व उनकी अनुमति नहीं लिये जाने की बात वे कह रहे हैं। इस फोटो के प्रकाशित होने से उनकी बदनामी होने का दावा किया गया है।(सोशल मीडिया अर्थात फेसबुक पर फोटो डालने से बदनामी नहीं हुई)

18 जुलाई 2022 को जिलाधिकारी अजय गुल्हाने स्वयं धानोरा, पिपरी व मारडा गांव में जाकर बाढ़ हालातों का जायजा लिया...

पत्रकार को 24 घंटे में हाजिर करने के निर्देश

जिलाधिकारी अजय गुल्हाने ने सकाळ के वरिष्ठों एवं जिला प्रतिनिधि प्रमोद काकडे को भेजे गये पत्र में निर्देश दिया है कि उनकी अनुमति के बिना फोटो प्रकाशित करने वाले और न्यूज के कारण उनकी बदनामी करने वाले रिपोर्टर को 24 घंटों के भितर उनके सामने प्रत्यक्ष पेश किया जाएं। इसके अलावा अगले दिन के अखबार में माफीनामा प्रकाशित करने के निर्देश जिलाधिकारी ने दिये है।

विरोधी दल नेता अजित पवार ने कोसा

जिलाधिकारी अजय गुल्हाने की ओर से सकाळ अखबार को भेजे गये इस नोटिस को लेकर जब 28 जुलाई 2022 को स्थानीय विश्रामगृह में आयोजित पत्रकार परिषद में प्रदेश के विरोधी दल नेता अजित पवार से एक पत्रकार द्वारा सवाल पूछा गया कि बाढ़ के हालातों के बीच जिलाधिकारी अजय गुल्हाने इस तरह से पर्यटन भ्रमण के लिये जाते हैं और न्यूज प्रकाशित होने के बाद में खुद ही पत्रकारों को धमकाने के लिये नोटिस दे रहे हैं, तो क्या यह मामला गंभीर नहीं है ? इस पर अजित पवार ने जवाब देते हुए कहा कि जिलाधिकारी को ऐसी हरकतें नहीं करना चाहिये। वे एक जिम्मेदार पद पर बैठे हैं। उनकी पहली प्राथमिकता जिले के हालातों पर नियंत्रण पाना और बाढ़ पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाना है। मीडिया को हक है कि वे किसी भी मामले में सच्चाई को जनता के समक्ष पेश करते रहे। आगे भी ऐसे मामले होंगे तो वह मीडिया ने जनता के समक्ष पेश करना चाहिये। 

प्रशासन और निजी चिकित्सकों की बीच का गहरा संबंध व साठगांठ को इसके पूर्व ही जिले के सांसद बालू धानोरकर ने उजागर किया था...

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4 Comments

  1. अजय गुल्हाने माननीय जिल्हाधिकारी हे चंद्रपूर जिल्ह्याचे जिल्हाधिकारी आहेत की अन्य कुठल्या जिल्ह्याचे! जिल्हाधिकारी महोदयांना जिल्ह्यातील कुठल्याही गावात पूर परिस्थिती निर्माण होत असेल तर त्या ठिकाणी बचाव कार्य रेस्क्यू ऑपरेशन करणे अनिवार्य असते परंतु जिल्हाधिकारी महोदयांना कुंभार तालुक्यातील जुनगाव हे गाव आठवडाभर पुरात वेढून होते या बातम्या माध्यमांमधून प्रकाशित झाल्यानंतर माननीय जिल्हाधिकारी यांनी जुनगाव हे गाव कोणत्या तालुक्यात येते असा मेसेज त्या बातमीदाराला केला संबंधित बातमीदाराने साहेब हा कुंभोर्णा तालुक्यातील गाव आहे असे म्हणून सांगितले तरीही जिल्हा प्रशासनाने कसलीच उपाययोजना केली नाही दिनांक 14 जुलै ते.......

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  2. जागा अपुरी पडत आहे त्यामुळे माझे म्हणणे अर्धवट राहिले आहे....

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  3. ज्या जिल्हाधिकाऱ्यांना जिल्ह्यातील कोणता गाव पूर्ण पीडित आहे हेच माहीत नसेल तर ते जिल्ह्याचे जिल्हाधिकारी कसे असा प्रश्न पडणे स्वाभाविक आहे

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