- SC कोटे के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार कैसे व क्यों बने RSS के हेगडेवार प्रणित हिंदुत्ववादी ?

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SC कोटे के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार कैसे व क्यों बने RSS के हेगडेवार प्रणित हिंदुत्ववादी ?

भाजपा के खिलाफ बहुजन व मुस्लिम समाज ने क्यों दिया था बहुमत ?

वडेट्‌टीवार व कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव में क्यों दिलाई थी जीत ?

महाविकास आघाडी का दामन त्यागकर अब क्यों चले गये गुवाहटी ?

 @चंद्रपुर
चंद्रपुर के सोशल मीडिया पर इस समय जनता की ओर से सबसे ज्यादा आलोचना निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार की हो रही है। महाराष्ट्र की राजनीतिक गतिविधियों के बीच जोरगेवार की भूमिका को लेकर चंद्रपुर के अनुसूचित जाति में ज्यादा रोष नजर आ रहा है। क्योंकि किशोर जोरगेवार SC आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की सीट पर सर्वाधिक बहुमत से चुनकर आये थे। SC के अलावा मुस्लिम और बहुजन समाज ने समता मूलक विचारधारा को पसंद करते हुए उनके प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार नाना शामकुले को हराने के लिये जोरगेवार पर भरोसा किया था। चूंकि अब शिवसेना के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सेक्यूलर हिंदुत्व की भूमिका से खफा हुए एकनाथ शिंदे के कट्‌टर हिंदुत्व और भाजपा के गठबंधन से सरकार बनाने की नीति को लेकर राज्य में बवाल मचा हुआ है। ऐसे में जनता जिसे बहुजन व आंबेडकरवादी विचारों वाला समझ रही थी, वे किशोर जोरगेवार गोवाहटी जाकर शिंदे के गुट में शामिल हो गये। हिंदुत्व की रक्षा का नारा देने वाले शिंदे गुट का भाजपा प्रेम और किशोर जोरगेवार का RSS के हेगडेवार प्रणित हिंदुत्व प्रेम अब एक रूप नजर आने लगा। इसे देखकर चंद्रपुर की जनता सोशल मीडिया के माध्यम से तीखी आलोचना करने लगी है। इस समूचे प्रकरण और जोरगेवार का कट्‌टर हिंदुत्व के प्रति झूकाव केवल चंद दिनों में आया बदलाव नहीं है। इसके अनेक परतों पर नजर दौड़ाने पर ज्ञात होगा कि जनता को कब-कब और कैसे ठगा गया ? 200 यूनिट फ्री बिजली दिलाने का उनका चुनावी नारा और वादा भी जनता के गुस्से का एक मुख्य कारण बना हुआ है। 

सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की बाढ़

चंद्रपुर के सोशल मीडिया पर निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार के गुवाहटी जाने व उनकी भूमिका को लेकर जमकर आलोचना हो रही है। इसमें चंद्रपुर शहर जिला कांग्रेस की आईडी के अलावा कांग्रेस नेता रामू तिवारी, अश्विनी खोबरागडे, प्रवीण पडवेकर, एड. प्रीतिशा साधना समेत राकांपा नेता राजीव कक्कड़, राजेंद्र वैद्य भी शामिल है। बहुजन नेता बलिराज धोटे, डॉ. अभिलाषा बेहरे, एड. फरहत बेग, वैशाली तुमराम, एड. नवाज शेख, वंचित बहुजन आघाडी के जिलाध्यक्ष भूषण फुसे, आम आदमी पार्टी के सुनील मुसले, मयूर राइकवार, राजू कुडे, जागरुक नागरिक नीलेश ठाकरे, शाहिद शेख, अभिजीत कुडे, बंडू हजारे आदि असंख्य नागरिकों ने आलोचना की है। 
वहीं किशोर जोरगेवार की भूमिका के समर्थन में युवा स्वाभिमान पार्टी के जिलाध्यक्ष सूरज ठाकरे के अलावा श्रीकांत नुने भी सोशल मीडिया पर सक्रिय नजर आये।

अखबारों की कतरनें भी उगल रही जोरगेवार का इतिहास

विधानसभा चुनाव व उसके नतिजों के दौर में प्रकाशित खबरों की कतरनें भी निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार की समय-समय पर बदली गई भूमिका का इतिहास उगल रही है। कभी तत्कालीन भाजपा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को समर्थन देने वाली तस्वीर सुर्खियां बन रही है तो कभी महाविकास आघाडी को समर्थन देने वाली खबरें उन्हें आईना दिखाना का काम कर रही है। वे बीते वर्षों में भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा आदि नेताओं के करीब गये। उनके साथ वाली तस्वीरों ने अब सोशल मीडिया पर भूचाल ला दिया है। 

सर्वेक्षण पोल भी जोरगेवार के खिलाफ

सोशल मीडिया इस समय नागरिकों के अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम समझा जाता है। चंद्रपुर में मशहूर फेसबुक ग्रुप माय चंद्रपुर पर मनिष पी. ने सर्वेक्षण पोल के तौर पर एक पोस्ट की। इसमें उन्होंने जनता से राय जाननी चाही कि यदि इस समय विधानसभा चुनाव लिये जाते है तो विधायक किशोर जोरगेवार दोबारा चुनकर आयेंगे क्या, इस आशय का सवाल पूछा। इसके जवाब में 227 लोगों ने नहीं नामक ऑप्शन का वोट दिया। वहीं इसके विरुद्ध 45 लोग किशोर जोरगेवार के पक्ष में दिखाई दिये। जबकि 28 लोगों ने नये चेहरे को मौका देने की राय व्यक्त की है।

 जोरगेवार लगातार सवालों के घेरे में
नवभारत अखबार ने 22 जून को अपने चंद्रपुर के पृष्ठ पर निर्दलीय विधायक सवालों के घेरे में, BJP प्रदेशाध्यक्ष ने नाम लेकर बढ़ाया संदेह शिर्षक तले एक खबर प्रकाशित कर किशोर जोरगेवार की भूमिका को लेकर हकीकत बयां की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में जोरगेवार का नाम लेकर उनकी सराहना किए जाने से संदेह को बल मिलने का दावा किया है। वहीं देवेंद्र फडणवीस द्वारा विधायक जोरगेवार को निर्दलीय विधायक की अहमियत समझने की बात स्वयं जोरगेवार ने कबूल की है। 

वडेट्‌टीवार ने निर्दलीय विधायकों को कहा गद्दार !

गत 12 जून 2022 को लोकमत के बुलडाणा से प्रकाशित खबर के अनुसार राज्य सभा चुनावों के दौरान 2 वोट ईडी के कारण बर्बाद होने का दावा करते हुए प्रदेश के बहुजन कल्याण मंत्री विजय वडेट्‌टीवार ने निर्दलीय विधायकों को गद्दार करार दिया है। साथ ही इन्हें निधि क्यों दिया जाना चाहिये, यह सवाल भी उपस्थित किया है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता वडेट्‌टीवार ने विधानसभा चुनावों के दौरान चंद्रपुर के कांग्रेस उम्मीदवार महेश मेंढे का विरोध करते हुए किशोर जोरगेवार को कांग्रेस की उम्मीदवारी दिलाने की नाकाम कोशिशें की थी। यहां तक ऐन समय पर पार्टी का एबी फॉर्म भी उन तक पहुंचाने की कोशिश की गई थी। लेकिन महेश मेंढे को कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद वडेट्‌टीवार समर्थक पूरा खेमा महेश मेंढे के विरोध में प्रचार करने लगा। कांग्रेस के अधिकांश नेता व कार्यकर्ताओं ने किशोर जोरगेवार का प्रचार कर उन्हें जीत का सेहरा पहना दिया था।

कांग्रेस के बागियों के बल पर जीते, लेकिन फडणवीस से जा मिले

विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार महेश मेंढे को हराने के लिये खुद कांग्रेस के नेता और कार्यकर्तागण पूरी ताकत से जुट गये थे। अधिकांश कांग्रेसी तो खुलकर निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार का प्रचार करते हुए देखे गये। चुनाव जीतते ही जोरगेवार के गले में हाथ डालकर फोटो खींचवाने में भी कांग्रेस के बागियों को कोई गुरेज नहीं था। इन गद्दार कांग्रेसियों की शिकायत कांग्रेस के आलाकमान और प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले से की गई थी। लेकिन किसी भी वरिष्ठ नेता ने इसकी सुध नहीं ली।

RSS के हेगडेवार की तस्वीर के छत्रछाया में जोरगेवार

विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भले ही निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार अपने आपको समतावादी बताते हुए डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की विचारधारा का खुलकर बखान करते नजर आये। इस दौरान उन्होंने जनता से हर अहम फैसले पर उनकी राय लेने का दावा किया। लेकिन उनकी एक तस्वीर निरंतर ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी रही। इस तस्वीर में देखा गया है कि दीवार पर RSS के हेगडेवार की फोटा टंगी है और किशोर जोरगेवार अपने सहयोगियों के साथ खड़े हैं। विचारों व तस्वीरों का यह विरोधाभास चंद्रपुर की जागरुक जनता के लिये सदा ही चर्चा का विषय बना रहा है।

200 यूनिट बिजली फ्री देने का वादा बना लॉलीपाप

विधानसभा चुनावों के पूर्व वैसे तो किशोर जोरगेवार ने अनेक मुद्दों पर असंख्य आंदोलन कर जनता का दिल जीता था। एक गरीब परिवार से आने वाले जोरगेवार ने अपनी मेहनत के बल पर संपत्ति जुटाने का दावा करते रहे। बांस की टोकरियां बनाने वाली गरीब महिला का पुत्र होने की तस्वीरों ने जनता को रिझाया था। चुनावी प्रचार के दौरान वे जनता को आह्वान करते रहे कि यदि वे जीतकर आएंगे तो चंद्रपुर वासियों को 200 यूनिट बिजली फ्री में दिलाने के लिये संघर्ष करेंगे। परंतु चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर केवल ज्ञापन सौंपने व सदन में विषय रखने के अलावा कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस मुद्दे को लेकर वे कोई एक आंदोलन भी खड़ा न कर सकें। कुल मिलाकर यह मुद्दा अब चुनावी आश्वासन का लॉलीपाप बना हुआ है। 

हेडगेवार विचारधारा का गुवाहटी सफर

RSS के हेडगेवार प्रणित हिंदुत्ववादी विचारधारा को मानने वाले आमतौर पर भाजपा का ही दामन थामते हुए नजर आते है। गत दिनों जयपुर की एक रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि - "मैं हिन्दू हूं, हिंदुत्ववादी नहीं, महात्मा गांधी हिन्दू थे और गोडसे हिंदुत्ववादी, मोदी भी हिंदुत्ववादी हैं, उन्हें सिर्फ सत्ता चाहिए...!" लेकिन इधर, चंद्रपुर में हिंदुत्ववादी हेडगेवार जी को मानने वाले विधायक किशोर जोरगेवार कांग्रेस के ही मंच पर विजय वडेट्‌टीवार के जन्मदिन के अवसर पर गेस्ट के रूप में पहुंचकर कंबल बांटते हुए देखे गये। इस समय कांग्रेसवासी नगरसेवक नंदू नागरकर, नगरसेविका सुनीता लोढ़िया, महिला प्रदेश सचिव नम्रता ठेमस्कर, सेवादल जिलाध्यक्ष सूर्यकांत खनके, सुभाष सिंह गौर, शालिनी भगत, विनोद संकत, अनु दहेगावकर आदि मौजूद थे। अब आलम यह है कि एकनाथ शिंदे के हिंदुत्ववादी आह्वान पर RSS की विचारधारा का समर्थन करने वाले किशोर जोरगेवार गुवाहटी में पहुंचकर चंद्रपुर की जनता की भावनाओं को आहत कर गये। SC आरक्षित सीट पर भाजपा के उम्मीदवार को हराने के लिये SC, मुस्लिम, बहुजन आदि ने उन्हें भारी बहुमत से जीताया था। लेकिन जनता की राय लिये बिना ही वे गुवाहटी चले गये। इसके चलते उनके आंबेडकरवादी खोखले विचारों की आलोचना सर्वत्र हो रही है। 


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