■ जुलाई-2021 से उजागर गुप्ता कोल वाशरी के महाघोटाले की घोर अनदेखी
■ घोटाले व प्रदूषण पर नेता खामोश, पर्यावरणवादी चुप और प्रशासन
निष्क्रिय
■ 5 मार्च को गठित स्पेशल स्क्वाड 90 दिनों बाद भी कुछ नहीं कर पाई
@चंद्रपुर
23 जनवरी 2019 को तत्कालीन
विधानसभा कांग्रेस के उपनेता विधायक व वर्तमान चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार
ने यहां आयोजित पत्रकार परिषद में दावा किया था कि चंद्रपुर जिले की कोयला खदानों से
प्रतिमाह लगभग 100 करोड़ की कोयला चोरी हो रही है। इसके बाद गत 5 मार्च 2022 को
पालकमंत्री ने जिला प्रशासन के आला अफसरों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के मंथन
सभागृह में हुई बैठक में कोल तस्करी रोकने के लिये स्पेशल स्क्वाड तैयार करने की
घोषणा कर दी। लेकिन उनकी यह घोषणा हवा-हवाई हो चुकी है। न तो स्पेशल स्क्वाड का
कोई अता-पता है और न ही कोयला तस्करी व महाघोटाले थम पाएं हैं।
जुलाई-2021 में
विद्वान पत्रकार शब्बीर सिद्दीकी ने गुप्ता कोल वाशरी के महाघोटाले का पर्दाफाश
किया। परंतु इसकी कोई जांच नेता व प्रशासन की ओर से नहीं की गई। इसके विपरीत खबरें
छापने वाले 11 जिलों के विशेष प्रतिनिधि के बड़े भाई नसीम मुक्तार अहेमद सिद्दीकी
और उनके पार्टनर अखिलेश उर्फ पंडित औधेश मिश्रा को 50 हजार मीट्रिक टन का कोल DO
परिवहन का ठेका मिल गया। इस भ्रष्ट तंत्र के पूरे गठबंधन को राजनीतिक संरक्षण होने
की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिये पालकमंत्री के स्पेशल स्क्वाड गठन
व कार्यप्रणाली पर अनेक सवाल उठने लगे हैं।
पालकमंत्री के आदेश को ठेंगा, डस्टबीन में चले जाते हैं जांच
पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार ने बीते 3 वर्षों में अनेक मामलों की जांच के आदेश दिये, लेकिन अधिकतर मामलों में प्रशासन ने पालकमंत्री के जांच आदेश को डस्टबीन में डाल दिया। अधिकतर मामलों में जांच ही शुरू नहीं की गई। ठीक इसी तरह से 5 मार्च 2022 की बैठक के जांच के आदेश की फलश्रृति नजर आती है। बीते 90 दिनों में पालकमंत्री द्वारा घोषित कोल तस्करी रोकने के स्पेशल स्क्वाड का हश्र भी यही हुआ। न तो स्पेशल स्क्वाड का ठोस तौर पर कोई गठन किया जा सका और न ही इस स्पेशल स्क्वाड ने बीते 90 दिनों में किसी भी कोयला घोटाले को लेकर कोई ठोस जांच व कार्रवाई की। स्क्वाड की घोषणा के बाद इसके प्रमुख कौन है, कौनसे मामलों की जांच शुरू की गई आदि अनेक सवालों के जवाब न तो प्रशासन ने जारी किया और न ही पालकमंत्री को अपनी ही घोषणा से जुड़े स्क्वाड के गठन व कार्य की जानकारी को सार्वजनिक करने की जरूरत महसूस हुई।
पालकमंत्री घोषणाएं करते हैं, लेकिन क्रियान्वयन में फेल
23 जनवरी 2019 को तत्कालीन विधानसभा कांग्रेस के उपनेता विधायक व वर्तमान चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार ने पत्रकार परिषद में दावा किया था कि तत्कालीन सत्तापक्ष अर्थात भाजपा-शिवसेना के नेताओं की सहायता से वेकोलि अधिकारी, पुलिस एवं कोल माफिया के बीच साठगांठ है। वडेट्टीवार ने 100 करोड़ की हर माह हो रही कोयला चोरी की उच्च स्तरीय जांच करने और वेकोलि अधिकारी तथा पुलिस का नार्को टेस्ट करवाने की मांग की थी। पश्चात 10 माह बाद अर्थात 21 अक्टूबर 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव हुआ और शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार सत्ता पर आसिन हुई। लेकिन तब से लेकर अब तक जिले के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार ने न तो 100 करोड़ हर माह कोयला चोरी का जिक्र किया और न ही उच्च स्तरीय जांच व नार्को टेस्ट की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया। इसके चलते वडेट्टीवार के आरोप, मंशा, नीति व नियत को लेकर अनेक सवाल उठने लगे हैं। पालकमंत्री द्वारा गठित स्पेशल स्क्वाड भी बीते 90 दिनों में सफेद हाथी की तरह दिखावा साबित हुई है।
हंसराज अहीर के क्षेत्र में गोरखधंधा चलने का दावा
विजय वडेट्टीवार ने 23 जनवरी 2019 के पत्र परिषद में दावा किया था कि देश के तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर के गृह क्षेत्र चंद्रपुर जिले तथा वणी क्षेत्र में कोयले का गोरखधंधा शुरू है। इस मामले में हंसराज अहीर को जवाब देना चाहिये।
वडेट्टीवार मानते हैं कि बगैर साठगांठ के संभव नहीं कोयले की लूट
मौजूदा पालकमंत्री का मानना है कि कोयले के इस गोरखधंधे में वेकोलि अधिकारी, पुलिस, कोल माफिया और सत्तापक्ष(तत्कालीन भाजपा-शिवसेना) के नेताओं के लोग शामिल हैं। इन सभी की न केवल नार्को टेस्ट जांच होनी चाहिये, बल्कि सभी की संपत्ति की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिये।
चुनाव में लगता है कोयले का काला धन ?
बैंक खाते और कॉल डिटेल खंगाले पर मिल सकती है करोड़ों की हेराफेरी
गुप्ता कोल वाशरी के महाघोटाले को उजागर करने वाले शब्बीर सिद्दीकी नामक विद्वान पत्रकार की खबरों के बाद उनके ही बड़े भाई को करोड़ों का ठेका मिलना भी एक नये महाघोटाले की ओर इशारा करता है। इसलिये गुप्ता कोल वाशरी के प्लांट मैनेजर संजय सारगे व शब्बीर सिद्दीकी समेत इस मामले से जुड़े सभी लोगों के बैंक खाते एवं कॉल डिटेल खंगालने पर जांच एजेंसियों को अनेक धांधलियों के राज उजागर करने में मदद मिलेगी। पुलिस, LCB, SID, CID, ED, WCL का विजलेंस प्रशासन व आयकर विभाग के लिए यह एक बड़ी चुनौती के रूप में अब देखा जाने लगा है।
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