■ सकाळ में प्रकाशित लेख ने विजय सिद्धावार के संघर्ष को नवाजा
■ लेखक हेरंब कुलकर्णी के लेख का नायक हैं वंचितों
का असली हीरो
साभार
@सकाळ
वंचित समाज के हक व अधिकारों के लिये बड़ी-बड़ी बातें तो हर कोई
करता हैं, लेकिन रियल ग्राउंड में उतर कर पीड़ित समाज के लिये संघर्ष करने वाले
रियल हीरो कम ही नजर आते हैं। ऐसे में रविवार को सुप्रसिद्ध सकाळ अखबार ने चंद्रपुर
जिले के योद्धा विजय सिद्धावार के जीवन के संघर्ष की कहानी को प्रकाशित कर न केवल
उनका गौरव बढ़ाया है, बल्कि एक नायक की असली कथा से जनता को रु-ब-रु कराया है। लेखन
हेरंब कुलकर्णी ने जिस ढ़ंग से विजय सिद्धावार पर अपने लेखन कौशल्य की कलम चलाई है,
वह वाकई में काबिले तारीफ है। हर पुरुष के संघर्ष में उसकी संगीनी व उसके हर काम में
साथ देने वाली पत्नी का रोल बड़ा ही अहम होता है। यदि विजय के संघर्ष में किसी का
सबसे बड़ा योगदान है तो वह है मीनल का। यदि मीनल संयम और समझदारी से विजय के
कार्यों में साथ नहीं दी होती तो आज विजय की यह यशोगाथा दुनिया के सामने एक मिसाल
के तौर पर नहीं आती। मीनल की मेहनत, लगन और परिवार को संभालते हुए विजय के हर काम
में साथ देने की ललक ने ही उन्हें इस मकाम तक पहुंचाया है। इस दंपत्ति को जिले का
हर व्यक्ति बखूबी जानता है। आदिवासी समाज के हक के लिये विजय ने रात-दिन एक कर
अपना खून पसीना बहाते हुए जीवन को सूख व आनंद की शैया पर सुलाने के बजाय कठीन
रास्तों का चयन किया। उनकी यही समाजसेवा आज चंद्रपुर वासियों के लिये गर्व की बात
हो गई है। इसलिये चंद्रपुर के रियल गौरव विजय सिद्धावार है।
अब पत्रकारिता में भी अपनी छाप छोड़ने लगे
सकाळ में प्रकाशित लेख में हेरंब कुलकर्णी ने बताया कि है कि विजय सिद्धावार वंचितों के लिये लड़ने वाले समाज शिक्षक हैं। वे पेशे से शिक्षक हैं, परंतु बीते 23 वर्ष उन्होंने अपनी नौकरी करते हुए भी वंचित समाज के लिये संघर्ष जारी रखा है। नौकरी करते समय मिलने वाले खाली वक्त का सही उपयोग विजय ने किया है। श्रमिक एल्गार संगठन के माध्यम से एड. पारोमिता गोस्वामी के साथ उन्होंने अनगिनत आंदोलनों का नेतृत्व किया है। उनके जीवन पर लिखे गये हेरंब कुलकर्णी के संपूर्ण लेख को चंद्रपुर वासियों ने एक बार जरूर पढ़ना चाहिये। विजय अब न केवल शिक्षक है, न केवल एक समाजसेवी आंदोलनकर्ता है, न केवल एक उत्तम संगठक है, बल्कि वे अब पत्रकारिता में भी अपनी छाप छोड़ने लगे हैं। समाज के अनेक अहम मुद्दों को उन्होंने बीते दिनों में उजागर किया है। हाल ही में उन्होंने जिला परिषद के एक बड़े घोटाले को उजागर कर जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपने कार्यों की अमिट छाप छोड़ने वाले विजय सिद्धावार के जीवन संघर्ष पर सकाळ में प्रकाशित लेख सही मायने में समाज के रियल हीरो को उजागर करने का यकीनन एक बेहतरीन प्रयास है।
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