■ कोयला वाश करने के नाम पर कौन खेल रहा मिलावट का खेल ?
■ खबरें छपते ही गुप्ता कोल वाशरी कैसे सिद्दीकी पर हुआ मेहरबान ?
■ प्लांट मैनेजर संजय सारगे व सिद्दीकी बंधुओं के बीच क्या है कनेक्शन ?
■ पुलिस, LCB, SID, CID, ED व आयकर विभाग क्यों नहीं खंगाल पा रही 50,000 टन कोल DO की जड़ ?
@चंद्रपुर
गुजरात में 6 हजार करोड़
का कोयला घोटाला उजागर हुआ था। इसका सीधा कनेक्शन चंद्रपुर जिले के खदानों से रहा
है। वहीं बीते जुलाई-2021 में महाजेनको को घटिया कोयला आपूर्ति करने, वॉश कोल के
नाम पर मिलावट करने का खेल खेले जाने आदि गड़बड़ियों पर विदर्भ के 11 जिलों के कथित
विशेष प्रतिनिधि व मशहूर पत्रकार शब्बीर सिद्दीकी ने खबरों की श्रृंखला चलाई। इन
खबरों में वे लगातार इस कोयला तंत्र को गोरखधंधा बताते रहे, लेकिन आश्चर्य की बात
है कि इन खबरों के प्रकाशित होने के कुछ ही माह बाद इनके बड़े भाई नसीम मुक्तार
अहेमद सिद्दीकी और उनके पार्टनर अखिलेश उर्फ पंडित औधेश मिश्रा को गुप्ता कोल
वाशरी की ओर से 50 हजार मीट्रिक टन का DO कोयला परिवहन ठेका प्रदान किया गया।
जुलाई-2021 में प्लांट मैनेजर संजय सारगे शब्बीर को जानते भी नहीं थे, लेकिन आखिर
खबरों के छपने के बाद ऐसा क्या हो गया कि सिद्दीकी बंधुओं को करोड़ों का ठेका दिया
गया ? यह गहन जांच का विषय है। इस प्रकरण की जांच पुलिस, LCB, SID, CID, ED व आयकर
विभाग आदि के माध्यम से क्यों नहीं खंगाला जा रहा है, यह गंभीर चिंतन का विषय है।
क्या गुजरात कोयला घोटाले की तरह ही यहां भी पूरा सिस्टम करप्ट हो चुका है, यह
सवाल अब जागरुक जनता के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।
प्लांट मैनेजर संजय सारगे क्यों व कैसे हो गये मेहरबान ?
गुप्ता कोल वाशरी के प्लांट मैनेजर संजय सारगे जुलाई-2021 में कोयला व कोल वाशरी से जुड़ी खबरों के लिये अपना स्टेटमेंट देते हुए सुविख्यात पत्रकार शब्बीर सिद्दीकी को नहीं जानने का दावा करते रहें। किंतु चंद माह के अंतराल में ही वे व उनकी कंपनी ने शब्बीर सिद्दीकी की विद्वत्ता को भांपते हुए उनके बड़े भाई नसीम मुक्तार अहेमद सिद्दीकी को करोड़ों के राशि का 50 हजार मीट्रिक टन कोयले का DO दे दिया होगा। हालांकि यह भी सच है कि सिद्दीकी बंधुओं का कोयला परिवहन का कार्य बेहद पुराना हैं। लेकिन छोटे भाई शब्बीर सिद्दीकी की खबरों के बाद गुप्ता कोल वाशरी के घोटाले उजागर हुए। जनता अपेक्षा कर रही थी कि अब जांच व कार्रवाई होगी। लेकिन ठीक इसके विपरीत हो गया, खबरें छापने वाले पत्रकार के भाई ही ठेकों में लाभान्वित हो गये। मैनेजर संजय सारगे के साथ इस मीठे आर्थिक गठबंधन की जड़ों को खंगालने पर कई राज खुलकर सामने आयेंगे। सच्चाई बाहर लाने के लिए पुलिस, LCB, SID, CID, ED, आयकर विभाग की ओर से उच्च स्तरीय जांच करना आवश्यक हैं।
नामचीन पत्रकार शब्बीर कहते हैं कि यह गोरखधंध है, तो बड़े भाई क्यों लिप्त हैं इस धंधे में ?
जाने-माने पत्रकार व विदर्भ विशेष प्रतिनिधि कहे जाने वाले शब्बीर सिद्दीकी के अनुसार उन्होंने कोयला का काला खेल खेल रही वाशरी के घोटालों को पूरजोर ढ़ंग से पर्दाफाश किया। एक अखबार में गत जुलाई 2021 में गुप्ता कोल वाशरी व अन्य के इस महाघोटालों के खिलाफ उन्होंने जमकर खबरें प्रकाशित की थी। उनकी खबर में 3 बार इस काले कोयले के खेल को गोरखधंधा के तौर पर स्थापित करने का प्रयास किया गया। कोयले का काला खेल खेल रही वाशरी शिषर्क वाली न्यूज में उन्होंने इस महाघोटाले को गोरखधंधा शब्द से 3 बार संबोधित किया। जनता ने इस पर भरोसा भी कर लिया, लेकिन कुछ ही माह बाद इसी गोरखधंधे से जुड़े 50,000 मीट्रिक टन कोयला परिवहन का ठेका गोरखधंधा लिखने वाले शब्बीर के बड़े भाई नसीम व उनके पार्टनर पंडित को गुप्ता कोल वाशरी की ओर से दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि छोटा भाई जिस धंधे को गोरखधंधा साबित कर चुका है, उसे धंधे को बड़े भाई करोड़ों के कमाई का साधन बना लेते हैं, ऐसा जनता अब असमन्जस में पड़ गई हैं कि आखिरकार यह खेल क्या है ?
कोयले के काला खेल खेल
रही वाशरी के गोरखधंधे में क्या-क्या दावे किये गये हैं ?
मशहूर पत्रकार शब्बीर
सिद्दीकी के अनुसार..
महाजेनको के कोयले में मिलावट
कोयले
का काला खेल खेल रही वाशरी की खबर में चंद्रपुर एवं यवतमाल जिले में WCL से महाजनको
को कोयले की खेप पहुंचाने की जिम्मेदारी हिंद मिनरल्स(50 प्रतिशत), आर्यन कोल बायफिक्रेशन(30
प्रतिशत) एवं रूकमाई इंफास्ट्रकचर प्राइवेट लिमिटेड (20 प्रतिशत) का होने की जानकारी
है। चंद्रपुर जिले के घुग्घुस एवं वणी में स्थित कोल वाशरी में कोयले को वॉश करने के
बाद विमला व वणी की रेल साइडिंग से महाजनको को पहुंचाने का काम पिछले चार-पांच माह
से कर रही रही है। इसकी आड़ में कंपनी के नुमाइंदे कोयले मे मिलावट करने के बाद पॉवर
प्लांट पहुंचा रहे हैं।
महाजेनको का अच्छा कोयला वणी के मंडी में
शब्बीर
सिद्दीकी के अनुसार महाजेनको का अच्छे ग्रेड का कोयला रोजाना वणी के कोयला मंडी एवं
राज्य के विभिन्न हिस्सों में भेज दिया जाता है। घुग्घुस के कोल डिपो व वणी कोल डिपो
से वणी व विमला रेल साइडिंग पर घटिया कोयले को मिश्रित कर महाजनको के लिये रवाना किया
जाता है।
कोल वॉश करने के नाम पर करते हैं मिलावट
कोयले के इस महाघोटाले में WCL के निलजई, मुंगोली, गोरेगांव पवनी-2, मकरधौकडा, सास्ती खदानों का वणी एवं घुग्घुस में स्थित कोल वाशरी में पहुंचता है, जहां पर उसे वॉश करने के नाम पर मिलावट करने का खेल-खेला जाता है। जिस ग्रेड का कोयला थर्मल पॉवर प्लांट(महाजेनको) को जाना चाहिए, वहां मिश्रित कोयले को भेजा जा रहा है।
कोयला धुलाई के नाम पर गोरखधंधा
प्रकाशित
खबर के अनुसार यह कोयले का पूरा गोरखधंधा लंबे अर्से से कथित व्यवसायी के द्वारा संचालित
किया जा रहा है। WCL की विभिन्न माइंसों से कोयला निकलकर
पहुंचता जरूर है, लेकिन अच्छी क्वालिटी के कोयले को बाहर बेच दिया जाता है एवं मिलावटी कोयले को महाजनको के लिये रवाना कर दिया
जाता है। WCL द्वारा कोयला महाजेनको को दिया गया
है बताया जाता है कि विभिन्न कोयला खदानों से महाजनको भेजने के लिये कोयला उठाया जाता
है और उसे अलग-अलग वाशरी में लाया जाता है। जिसके बाद कोयले में मिलावट की जाती है
और अच्छे कोयले को रोजाना वाहनों के माध्यम से कोयला मंडियों में ऊंचे दामों पर बेच
दिया जा रहा है। यह खेल बरसों से कोयले की धुलाई के नाम पर कथित कंपनी के कारिंदों
के द्वारा संचालित किया जा रहा है।
मशहूर पत्रकार शब्बीर सिद्दीकी को नहीं जानते गुप्ता कोल वाशरी के मैनेजर सारगे
घुग्घुस के गुप्ता कोल वाशरी के प्लांट मैनेजर संजय सारगे का जब मशहूर पत्रकार शब्बीर सिद्दीकी ने इंटरव्यू-स्टेटमेंट लिया था, तब सिद्दीकी लिखते हैं कि संजय सारगे को खदानों से कितना कोयला प्लांट में आ रहा है व कहां जा रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं है। अभी वे माइंस में व्यस्त हैं। आप(शब्बीर सिद्दीकी) आकर उनसे मिले, वे आपको(शब्बीर सिद्दीकी को) जानते नहीं हैं। लेकिन लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद शब्बीर के बड़े भाई नसीम व उनके पार्टनर पंडित को 50,000 मीट्रिक टन कोयला परिवहन का ठेका गुप्ता कोल वाशरी की ओर से दिया जा चुका हैं। अब इस धंधे को शब्बीर सिद्दीकी द्वारा गोरखधंधा कैसे व क्यों करार दिया गया था, यह समझ से परे हैं।
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